अथ संपूर्ण उत्तर प्रदेश चुनाव यात्रा: कैराना विधानसभा क्षेत्र

kairana assembly seat in uttar pradesh
कैराना विधानसभा क्षेत्र 1955में अस्तित्व में आया।यह महाराज अंगेश दानवीर कर्ण की राजधानी है,तो संगीत के किराना घराना का स्थल भी।यह उस्ताद अब्दुल करीम खाँ का जन्मस्थान है,जो बीसवीं सदी में किराना शैली के सर्वाधिक महत्वपूर्ण संगीतज्ञ थे।इन्हें किराना घराने का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।वह कर्णाटक संगीत शैली में भी पारंगत थे।हीराबाई बादोडकर,रोशनआरा बेग़म,गंगूबाई हंगल, भीमसेन जोशी आदि किराना घराना की बड़ी हस्तियां रहीं हैं।मशहूर गायक मन्ना डे एक कार्यक्रम में शामिल होने कैराना आए तो,कैराना की सीमा प्रारम्भ होने से पहले ही अपने जूते उतार कर हाथों में ले लिए।लोगों ने जब कारण पूछा तो मन्ना डे ने कहा कि यह महान संगीतकारों की धरती है,इस धरती को जूतों से रौंदूगा क्या?
kairana mla
भले ही सियासतदां कैरानाको सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हो,मगर वहां के आंकड़े इससे अलग ही हैं।2011की जनगणना के अनुसार,इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी हिन्दुओं से ज्यादा है।कैराना की आबादी 586254 है-इसमें हिंदू 266061है,मुस्लिम 310336।लेकिन,विधानसभा के 17चुनावों में 12बार हिंदू विधायक चुने गए हैं।इतना ही नहीं,कैराना लोकसभा सीट पर 8बार हिंदू सांसद भी दिल्ली पहुंचे हैं,जबकि मुस्लिम केवल 6बार ही चुने जा सके हैं।कैराना की सियासत दो-तीन परिवारों के इर्द-गिर्द ही रही है।
hukum singh
हुकुम सिंह का कैराना की सियासत में बड़ा दखल रहा है।7बार विधायक चुने जाने के दौरान वे 4बार मुस्लिम प्रत्याशियों को मात देेने में कामयाब रहे हैं।1995तक यहां भाजपा नहीं थी।1995में हुकुम सिंह जब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए तो यह सीट भाजपा को तोहफे में मिलने लगी।हुकुम सिंह चार बार भाजपा के टिकट पर कैराना सीट जीते।इसके पहले तीन बार वह कांग्रेस,जेडी आदि दलों से जीते थे।
कैराना का दूसरा महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवार मुनव्वर हसन का है,जो 1991 और 1993में कैराना से विधायक रहे और 1996और 2004में सांसद बने।उनके अब्बा चौधरी अख्तर हसन 1984में कांग्रेस के टिकट पर कैराना से सांसद रह चुके थे।उनकी मृत्यु के बाद उनकी बेगम तबस्सुम 2009 और 2018में सांसद बनीं।
2014में जब हुकुम सिंह सांसद बन गए,तो कैराना विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में मुनव्वर हसन के बेटे नाहिद हसन जीते।विधानसभा चुनाव,2017में भी नाहिद हसन ने अपनी सीट बरकरार रखी।वस्तुत:,हुकुम सिंह और नाहिद हसन दोनों का ताल्लुकात गुर्जर परिवार से है।नाहिद हसन के पूर्वजों ने इस्लाम कबूल कर लिया था।
nahid hasan
रंगदारी नहीं देने पर व्यापारियों की हत्या के बाद शुरू हुए पलायन का मुद्दा भाजपा के स्वर्गीय सांसद हुकुम सिंह ने मई,2016 में उठाया था।उन्होंने कैराना से पलायन करनेवाले करीब 394व्यापारियों की सूची जारी की थी।पलायन की पुष्टि होने पर भाजपा ने 2017के विधानसभा चुनाव में पलायन को मुख्य मुद्दा बनाया था और वह 15वर्ष बाद सत्ता में आ पाई थी।
mriganka singh
mriganka singh
आगामी चुनाव में भी नाहिद हसन का मुख्य मुकाबला भाजपा के टिकट पर हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह से ही रहने की संभावना है।22जनवरी को कैराना सीट से गृहमंत्री अमित शाह के घर-घर चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी है।लेकिन,स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या ‘सांप्रदायिक तनाव’ और कानून-व्यवस्था की स्थिति नहीं बल्कि बेरोजगारी है। मंहगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।गरीब और अमीर के बीच की खाई और चौड़ी हुई है।सबसे बड़ी समस्या भाजपा का असंवेदनशील राजनैतिक संस्कार है-योगी आदित्यनाथ की ठोको नीति, मीडिया प्रबंधन के आधार पर विकास के झूठे दावे और कोरोना काल का कुप्रबंध उसका हिस्सा है।

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